Navratri 2023 Day 2 : दुसरे दिवस की विशेषताएँ, किस समय में कौन सा कार्य शुभ होता हैं?

दिनांक 16 अक्टूबर 2023 मतलब की नवरात्री का 2 दिन , इस दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा किं जाती हैं । जिनको श्वेत मतलब की सफ़ेद रंग प्रिय होता हैं ।

माता ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग ही क्यों पसंद हैं?

हमारे पुरानी में और दुर्गा सप्तशती पाठ में उल्लेख हैं की इसके पीछे एक कथा हैं। मातारानी का यह स्वरूप शांत स्वभाव का हैं और शांति का रंग होता हैं श्वेत। इसके पीछे कहानी हैं किन जब माता पार्वती मां ब्रह्मचारिणी का रूप लेकर जन्म लेती हैं तो वो भगवान शिव की घोर तपस्या करती हैं और उनसे विवाह करने का प्रस्ताव देती हैं ,

संसार के अनेक महागुरु माता की परीक्षाएं लेते हैं जिसे माता बड़ी शांतिंसे और एकाग्रता से पार करती हैं, जब स्वयं महादेव उन्हे लेने आते हैं तो, विवाह प्रस्ताव को मानते हुए भगवान शिव उन्हे कैलाश चलने के लिए कहते हैं, लेकिन माता  ब्रह्मचारिणी कहती हैं मैं आपको अपना वर मानती हूं और इसलिए मैने घोर तप किया हैं , लेकिन मैं अपने मातापिता के आज्ञा के बिना आपसे विवाह नही कर सकती।

यह बात सुनकर भगवान शिव कहते है, मैं तो वैरागी हू,मैं आपके मातापिता से कैसे बात करू, तो इस पर उपाय के तौर पर माता कहती हैं आप श्री हरी विष्णु से बात कीजिए उनको सब कुछ पता हैं।

माता का यह शांत स्वभाव देखकर भगवान बहुत प्रसन्न हो जाते हैं,,शांत स्वभाव और पवित्र चित्त, आज्ञाकारी का मतलब ही ब्रम्हचारिणी होता हैं और इसलिए उन्हें इस नाम से बुलाया जाता है। तपस्या के समय माता रानी सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण किए थे और एक भी आभूषण उनके पास नहीं थे उन्होंने सब कुछ त्याग दिया था । इसलिए माता पार्वती के इस रूप को श्वेत रंग अधिक प्रिय हैं जो शांति को संबोधित करता हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से हमे क्या प्राप्त होता हैं?

हमारी जीवन में अनगिनत कष्ट हैं जिसे पूरा करने के लिए माता के इस रूप की पूजा की जाती हैं। जिससे जीवन में शांति और समृद्धि बनी रहे , घरों के क्लेश दूर हो और आपका मन विचलित न हो इसलिए माता पार्वती का यह दिव्य स्वरूप शांत का प्रतीक माना जाता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन खास क्या हैं ?

नवरात्रि के दूसरे दिन भक्तो को सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करना चाहिए। जिससे शांति और सुख आपके जीवन में रहे ।
जितना शांत मन से आप जीवन को जीना सीखोगे उतना आप सुखी रहेंगे । इस दिन माता की सफेद पुष्प जरूर चढ़ाए और आशीर्वाद प्राप्त करें।

नवरात्रि के दूसरे दिन का महत्त्व क्या हैं?

कहा जाता हैं इस दिन की पूजा पाठ से यमदेव आपसे दूर रहते हैं और भगवान शिव की कृपा दृष्टी आपके ऊपर रहती हैं।
इसलिए माता पार्वती के इस दिव्य स्वरूप को ब्रम्हचारिणी कहते हैं।

क्या केवल कन्या राशि के लिए ही यह दिन शुभ हैं?

केवल कन्या राशि के लिए नहीं  बल्कि सभी 12 राशि के लिए नवरात्रि का यह दूसरा दिन बहुत शुभ हैं। मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का जा करे

“या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः  श्री अंबिकाए नम:”

इस मंत्र का जप पूजा के समय करे और गुलाबी या फिर सफ़ेद रंग के वस्त्र पहन कर पूजा करे।

किस समय पूजा कर सकते हैं?

ब्रह्म मुहूर्त में सुबह 4 से लेकर ,5 बजे तक पूजा कर सकते है और । प्रात: संध्या को  5 से संध्या 6 बजे तक अभिजीत मुहूर्त में आपको 11 से 12 बजकर 20 मिनट पर पूजा करनी चाहिए। तथा विजय मूहूर्त दोपहर 12 से 2 बजे तक। आपको पूजा में सफ़ेद मिठाई , सफ़ेद पूष्प जरूर रखना चाहिए।

 

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