पीएम नरेंद्र मोदी ने किया अरुणाचल प्रदेश का दौरा, सेला टनल के उद्घाटन के बाद बढ़ी चीन की मुश्किलें,भारतीय जवानों के साथ पीएम मोदी ने की  अरुणाचल को लेकर बातचीत ?

पीएम नरेंद्र मोदी ने किया अरुणाचल प्रदेश का दौरा

बीते कुछ सालों में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के पास अपने सैन्य शक्ति बढ़ा दी है, वही भारत ने अरुणाचल के पास भारतीय जवानों का कड़ा पहरा बैठा दिया हैं, साथ ही अरुणाचल प्रदेश के सीमा लगत क्षेत्र में सड़क, और टनल बनाने का काम भी जोरो शोरो पर हैं, जिसकी मदद से भारतीय सेना को अब कच्चे रास्ते से होकर नहीं गुजरना पड़ेगा, साथ ही सीमा पर वाहनों की आवा जाई भी बढ़ेगी, और भारतीय सैनिक आसनीं से अरुणाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों पर नजर रख पाएंगे।

बीते कुछ सालो में चीन ने भारत के कुछ हिस्सों पर अपना दावा ठोंका था, अरुणाचल प्रदेश, सियाचिन, लदसख को लेकर चीन हमेशा भारत के पीछे पड़ा हैं, जिसे काउंटर करने के लिए भारत नॉर्थ ईस्ट इंडिया को विकसित करने पर जोर de रहा है,जैसे की वहा सुरक्षा बलो को सभी जरूरी सेवाएं प्रदान करना, टनल बनाना, पक्की सड़क बनाना और इसका विस्तार बढ़ाना, साथ ही भारत अरुणाचल सीमा पर कुछ मिसाइल भीं तैनात कर सकता हैं, अगर ज़रूरत पड़ी तो भारत यह कदम भीं उठा सकता हैं, क्युकी भारत का पहला  कर्तव्य हैं, भारत की रक्षा करना, और अपने सुरक्षा कर्मियों की जरुरते पूरी करना।

वैसे तो भारत ने कही बार कहा हैं, हम चीन से शांति वार्ता करना चाहते हैं, क्युकी भारत वासुदेव कुटुम्बक्म को मानता हैं, लेकिन चीन हमेशा भारत की सादगी का फायदा उठाकर भारत के सीमा पर उत्पात मचाता हैं, लेकिन इस बार शिझीनगपिन को भारत ने कहा हैं की, भारत का एक इंच भी किसी को नहीं मिलेगा, भारत आज सक्षम हैं, इसे 1965 का भारत समझने की भूल ना करे ।

पीएम मोदी ने हाल ही में अरुणाचल प्रदेश में एक टनल का उद्घाटन किया,जिसे सेला टनल कहते हैं। जो भारतीय सैनिकों के साथ साथ वहा के लोगो के लिए भी बेहद जरूरी था, साथ ही अरुणाचल प्रदेश में भारत कही परियोजनाएं भी चलाने की रह पर हैं, जैसे की वहा आर्थिक ढांचा मजबूत करना, लोगो को आपदा से बचने के लिए ट्रेनिंग देना।

पीएम मोदी को लेकर चीन ने जताई चिंता,कहा अरुणाचल में भारत नही कर सकता विकास कार्य?

बीते सप्ताह भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में तैनात जवानों से मुलाकात की और वहा पर सेला टनल का उद्घाटन भी किया, जिसे देखकर चीन की नींद उड़ गई हैं,क्युकी अरुणाचल को लेकर चीन हमेशा भारत के विरोध में रहा है , मोदी ने 13 हजार  फीट ऊंचाई पर बनी सेला टनल का उद्घाटन किया हैं, जिसे देखकर चीन समेत पकिस्तान सदमे में हैं.

क्यूंकि इस से चीन को बहुत बड़ा सबक मिला हैं, आपको बता दे की चीन ने भारत के सीमा वर्ती जगह पर गांव बसाना शुरू किया हैं, जिसकी वजह से भारत में अवैध घुसपैठ का डर था, लेकिन जल्द ही भारत सरकार ने चीन से सटे सीमा पर विकास कार्य करना शुरू किया है, जिस से भारत के जवान आसानी से चीन की हरकतों पर नज़र रखेंगे, कही बार चीन के सैनिकों ने भारती जवानों पर जानलेवा हमले किए हैं, बिना अनुमति भारत की सीमा में आने की वजह से भारत हमेशा चीन को सचेत करता आया हैं, लेकिन चीनी सैनिको की हरकते को ध्यान में रखकर अब भारत भी सख्त कार्रवाई करने पर जोर दे रहा हैं।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मोदी के इस कार्य से कड़वे शब्द उगले हैं, और उनका बयान भी भारत विरोधी साबित हुआ, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता “वांग वेनबिन ने कहा की भारत का यह कदम LAC पर तनाव पैदा कर सकता हैं”।

वांग ने कहा की वह हिस्सा चीन का हैं, जिसे चीन जांगनान कहता हैं, यह चीन की जमीन हैं, जहा भारतीय लोगो को अवैध तरीके से भारत सरकार ने बसाया है, जिसे चीन कभी भी मान्यता नहीं देगा।

चीन ने कहा की वह प्रधान मंत्री के इस दौर से नाराज हैं, क्युकी अरुणाचल में वह विकास कार्य कर रहे हैं,जो की चीन का हिस्सा है, उनके इस कदम से भारत को आगे परेशानी हो सकती हैं। चीन हमेशा कहता हैं की अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का भाग है, जिसे चीनी जांगनन कहते हैं।

चीन के इस भाषण से भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता श्रीं रणधीर जायसवाल की कड़ी प्रतिक्रिया ने चीन को उसी के भाषा में जवाब दिया हैं, भारतीय विदेश मंत्रालय का जवाब हैं, की अरूणाचल प्रदेश भारत का था, हैं, और हमेशा रहेगा, चीन यह भाषण बाज़ी छोड़ दे, भारत सरकार ने हमेशा से कहा हैं, की अरुणाचल प्रदेश भारत का अटूट हिस्सा हैं, जिसे  कोई भी भारत से अलग नहीं कर सकता ।

पीएम मोदी ने किया सेला टनल का उदघाटन, जाने क्यों हैं भारत के लिए मील का पत्थर?

अरूणाचल प्रदेश के कामेंग जिले के पश्चिम भाग  के  बैसाखी नामक स्थान पर पीएम मोदी ने 9 मार्च को इस सेला टनल का उद्घाटन किया, जो की 13000 फीट ऊंचाई पर बनी ,दुनिया की सबसे ऊंची डबल लेन टनल हैं ,जो  चीनी बॉर्डर से लगे तवांग क्षेत्र को ,सभी मौसम में जोड़ने का काम करेगी, आपको बता दें की यह टनल  1.5 किलोमीटर लंबी हैं ,जो चीन की सीमा के पास से गुजरती हैं।

भारत के लिए क्यों खास हैं सेला टनल?

सेला टनल LAC के पास हैं, मतलब की भारतीय सेना किसी भी हालत में यह कड़ा पहरा दे सकती हैं, इस कारण चीन परेशान हैं,क्युकी इस टनल की मदद से भारत चीन की हर गतिविधि पर नजर रख पाएगा। इसकी  मदद से चीन की सीमा की दूरी लगभग 9 किलोमीटर कम हो गई है।

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भारत के रक्षा विशेषज्ञ का कहना हैं की, सेला टनल भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, क्युकी यह टनल सेला दर्रे के पास है जहा से LAC पर नजर रखने में भारत को आसानी होगी , भारत चीन के बीच 1962 में एक युद्ध हुआ था, और चीनी सेना इसी दर्रे से होकर तवांग  में घुसी थी, वही पिछले साल मतलब की 2022 में चीनी सेना की झड़प भारतीय सेना से हुई थी।

अरूणाचल प्रदेश के साथ साथ चीन ने कई बार लद्दाख, सियाचिन, कैलाश मानसरोवर और पेंगगैंग सो झील को लेकर नक्शा जारी किया था। जिसमे वह इन हिस्सो को अपना बता रहा है, लेकिन भारत ने हमेशा से चीन को इस मामले में चारों खाने चित्त किया हैं

आखिर किसने बनाई हैं सेला टनल?

युद्ध के समय टनल कितनी महत्त्वपूर्ण है इसका अंदाजा बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन से बेहतर कोई नहीं लगा सकता, और यह टनल BRO मतलब की भारतीय  सेना की विंग बोर्डर रोड आर्गेनाइजेशन ने बनाई हैं, जिसने बड़ी  बेहतरिन तरीके से 13000 फीट पर इसका निर्माण करके सबको चौकाया हैं।

पीछले कुछ सालों में चीन ने अरुणाचल को लेकर कुछ बदलाव किए हैं, अरुणाचल के कुछ हिस्सों के नाम चीन सरकार ने बदलकर अपने मन से नए नाम की लिस्ट जारी की थी, जो भारत सरकार ने खारिज की थी।  वर्ष 2023 में चीन ने एक रिपोर्ट पेश की थी , जिसमे उसने अपने मान चिन्ह में अरुणाचल के कुछ हिस्सों को शामिल किया था, जिसे उसने अपने मन माने  ढंग से नाम दिए थे, जिसे देखकर भारत ने कड़ा विरोध किया था।

सेला टनल

2016, में भी चीन ने 15 जगह को अलग नाम दिया था, और 2020 के आसपास भी चीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी ,जिसमे अरुणाचल प्रदेश को अपना हिस्सा मानते हुए 6 जगह के नाम बदल दिए थे, तब भारत ने चीन को उसकी भाषा में समझाया और कहा, की अरुणाचल प्रदेश भारत था, हैं, और रहेगा , चीन चाहे कितने भी रिपोर्ट पेश करे अरुणाचल भारत का अटूट हिस्सा है। चीन के मनमाने ढंग से नाम में बदलाव करने से, सच्चाई नहीं बदलती, और सच यह हैं,की अरुणाचल प्रदेश भारत का हैं

 

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