भोजशाला में शुरू हुआ ASI सर्वे, मध्य प्रदेश के धार में पहुंची टीम और जैन हिन्दू समेत, मुसलमान भी पहुंचे भोजशाला में।
क्या हैं भोजशाला का विवाद जिसके लिए जैन और हिन्दू समाज कर रहे हैं, मिलकर पूजा अर्चना की मांग?
अयोध्या के बाद अब काशी और मथुरा विवाद को लेकर न्यायालय में सुनवाई हो रही हैं, साथ ही ASI सर्वे के जरिए हिंदू पक्ष का दावा हैं की , मौजूदा विवादित स्थल पर हिन्दू मंदिर था और बाद में मस्जिद निर्माण किया गया।
यह दावा अयोध्या में सच साबित हुआ, एएसआई को वहा मंदिर के अवशेष मिले जो की अयोध्या के एक म्यूजियम में रखे हैं, अयोध्या के बाद अब हिंदू पक्ष का दावा काशी को लेकर शंख नाद बजाना हैं, जिसे वह हर हालत में अपना खोया अधिकार पैर सम्मान सूत समेत चाहते हैं, फिलहाल ज्ञानवापी परिसर में माता श्रृंगार गौरी की पूजा करने का अधिकार हिंदुओ मिल गया हैं, जो की शतको से व्यास परीवार करते आ रहा हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने यहां अपनी मनमानी करते हुए, व्यास परिवार को उनके धार्मिक अधिकारों से बाहर रखा था,
अब जिला न्यायालय के आदेश पर व्यास परिवार को वापस उनका खोया अधिकार मिल गया, सालो बाद ज्ञानवापी परिसर में माता श्रृंगार गौरी की पूजा अर्चना शुरू हो गई।
ज्ञानवापी का मुकदमा न्यायालय में चल रहा हैं, साथ ही मथुरा का भीं जमीनी विवाद जारी हैं, जिसके कई सबूत कोर्ट में।पेश किए गए हैं,मथुरा का मामला 13.5 एकड़ जमीन को लेकर हैं, जिस पर ईदगाह मस्जिद बनाईं गई है, हिन्दू पक्ष का कहना है की, यह वही स्थान हैं, कहा श्रीं कृष्ण का जन्म हुआ था, लेकिन मुस्लिम समाज यह जमीन देने के लिए तैयार नहीं हैं, इसलिए हिन्दू पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया है।
यह तीन सबसे महत्त्वपूर्ण हिन्दू स्थान हैं जिसमे से अयोध्या का हक हिंदुओं को ली चुका हैं,लेकिन अभी और 2 जमीनी विवाद बाकी हैं,जो हर हालत में हिन्दू समाज वापस लेना चाहता हैं, जिसका मुकदमा चल रहा है ।
मथुरा काशी के साथ साथ अब मध्य प्रदेश के धार में स्थित भोजशाला को लेकर जैन और हिन्दू समाज ने हुंकार भरी हैं, और यह पर भी पूजा करने का हक हिन्दू समाज चाहता है, भोजशाला भी काशी, मथुरा जैसा ही मामला हैं, जो की मस्जिद,मंदिर विवाद से जुड़ा है,
पुराने ग्रंथ के अनुसार, और इतिहास के कुछ दस्तावेज की माने तो यह एक भव्य मंदिर था जिसमे गुरुकुल था, जहा पर संस्कृत साहित्य, और बाकी विषय पढ़ाए जाते थे, यह मंदिर माता सरस्वती को समर्पित था, जिसे राजा भोज ने बताया था,
इसलिए इस मंदिर को भोजशाला कहा जाने लगा।
फिलहाल धार में ASI सर्वे किया जा रहा हैं, जिसकी देखरेख एएसआई हैदराबाद का एक तकनीकी विभाग कर रहा है, उत्खनन कार्य में तलवार थामे माता सरस्वती की एक प्राचीन मूर्ती मिली हैं, साथ ही अन्य वस्तुएं भी मिली हैं, जिसे एएसआई टीम ने सुरक्षित अपने पास रखा हैं,
लेकिन कुछ दिन पहले मतलब की , 20 मई से लेकर 24 मई तक मुसलमान समाज के कुछ लोगो ने धार स्थित भोजशाला प्रांगण में काली पट्टी बांध कर नमाज अदा की, भोजशाला में हो रहे उत्खनन का विरोध प्रदर्शन स्थानीय मौलाना के द्वारा शुरू हैं, को हर हाल में उत्खनन कार्य में
रोख लगाना चाहते है, लेकिन कोर्ट के आदेश पर ही यह उत्खनन किया जा रहा हैं, फिर भीं स्थानीय मौलाना और मुस्लिम समाज का इसे लेकर विरोध हैं।
पिछले तीन महीनो से धार में शुरू हैं उत्खनन कार्य ?
ASI और जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने मिलकर भोजशाला में जीपीआर तकनीक की मदद से सर्वे किया है, जिसमे प्राचीन मूर्तियां मिली हैं।
सबसे ज्यादा खंडित मूर्तियां विवादित स्थल के पूर्व दरवाजे की ओर मिली , जहा जीपीआर तकनीक की मदद से वैज्ञानिको ने कई बार उत्खानन किया और कई सारी खंडित साक्ष अपने।पास सुरक्षित रखें।
24 मई के बाद हर दिन एएसआई ने मौजूदा स्थल पर खुदाई की, जो की 12 घंटो से ज्यादा तक चली,जिसमे सबसे ज्यादा समय परिसर में यज्ञकुंड को लेकर उत्खनन किया गया,
भोजशाला में मुस्लिम समाज ने अदा की नमाज़?
जब से मस्जिद निर्माण किया गया है,तब से यहां मुसलमान नमाज़ पढ़ते हैं,इस बार सर्वे के दिन भी उन्हे यह अधिकार दिया गया , लेकिन नमाज़ के तुरंत बाद उन्हे वहा से जाने के लिए कहा गया ताकी खोजबीन में कोई भी रुकावट ना आए , उत्तर द्वार में भी कई अहम सबूत एएसआई को मिलने का दावा हैं, जिसमे संगमरमर से निर्मित कुछ ढांचे मिले हैं, साथ ही भोजशाला में उत्तर की ओर खंडित गणेश भगवान और कार्तिके की मूर्ती भी मिली हैं। साथ ही एक पत्थर पर कुछ लेख मिला हैं, जिसे अब तक सबके सामने नही रखा गया हैं संगमरमर का एक हिस्सा भी मिला हैं , बताया जा रहा है की वह एक खंडित मूर्ति का हैं।
न्यायालय के आदेश के बाद शुरू हुआ भोजशाला में एएसआई सर्वे?
वैसे तो बहुत सालो से भोजशाला को लेकर विवाद खड़ा हैं, लेकिन अब जाकर न्यायालय ने एएसआई को कहा हैं, की वह बारीकी से यह उत्खनन कार्य करे और , विवादित स्थल का सच सबके सामने आए,क्युकी इस परिसर को लेकर दोनो पक्ष अपना अपना दावा करते हैं
हिन्दू पक्ष का कहना हैं, की यह राजा भोज ने मंदिर बनाया था, जो माता सरस्वती को समर्पित था, साथ ही यह गुरुकुल पाठ भी पढ़ाया जाता था,जिसे हम शाला कहते है, मतलब की संस्कृत विद्यालय इसी कारण यह परिसर भोजशाला कहलाया।
लेकिन कुछ बाहरी आतंकवादी आक्रांताओंने यह की सम्पत्ति को लुटा, और मंदिर तोड़कर मस्जिद निर्माण किया,जिसे अब मुस्लिम पक्ष अपना मान रहे हैं।
भोजशाला में खंडित मूर्ति के अलावा दो पर अहम सबूत मिले हैं, साथ ही मौजूदा स्थल के गर्भगृह में एक महत्वपूर्ण अवशेष मिला हैं, दक्षिण मध्य द्वार के पास दो स्तंभ मिले हैं, जिसपर भोजशाला नामका उल्लेख हैं।
गर्भ गृह के उत्तर की ओर कुछ चिन्ह मिले हैं, लेकिन यह किस काल के हैं, यह अभी तक एएसआई ने नही बताया है ,साथ ही खंडित मूर्ति की कार्बन डेटिंग की जायेगी,जिसके जरिए पता लग जायेगा की खंडित मूर्तियां कौन से समय की है ।
मौजूद मामला इंदौर हाई कोर्ट कचहरी में चल रहा है, 5 जुलाई 2024 को एएसआई हैदराबाद कोर्ट में सारे सबूत पेश करेगी।