संविधान सदन : पुराना संसद भवन का सफर 370 हटने से लेकर श्री राम मंदिर तक ,पुराने संसद भवन को मिला नया नाम , क्या है इतिहास ?

इतिहास की गवाही और वर्तमान की ललकार को अगर किसी ने समझा हैं तो वो हैं भारत का पुराना संसद भवन,  इस निर्जीव वस्तु में जब भारत भर से चुने गए नेता अपना पक्ष रखता है तो यह सदन गूंज उठता हैं , तर्क से वितर्क से मानो इस बेजान भवन में किसी ने जान फूंक दी हों। लेकिन समय के साथ हमे कुछ चीजों को कुछ बातो को पीछे छोड़ना पड़ता है , और आज पुराना संसद भवन भी इसी राह  पर हैं ।

देश की ज़रूरत अब बढ़ गई हैं डिमांड थीं एक भव्य और आधुनिक संसद भवन की है , जिसे पूरा किया गया , 2024 के चुनाव की तैयारी तो सभी कर ही रहे है और अब नया आगाज़ होगा नए संसद भवन में गणेश चतुर्थी के पवन  पर्व पर नए संसद भवन में सोच विचार शुरू हो गया, और पुराने संसद भवन की विदाई दी गई। अब इस पुराने संसद भवन को आलीशान म्यूजियम में बदला जाएगा और नया सत्र शुरू होगा आधुनिक संसद भवन में  जिसमे वापस तर्क वितर्क की बात होगी और यह सब जुड़ा होगा दुनिया की सबसे प्राचीन संस्कृति और भारतीय समाज के लिए।

पुराने संसद भवन की क्या है हिस्ट्री ?

पुराना संसद भवन बनाने में 6 वर्ष का टाइम लगा और नीव रखी गई 12 फरवरी 1921 को  और फिर 18 जनवरी १९२७ को  तैयार हुआ यह  लोकतंत्र का यह मंदिर, और भारत को १९४७ से १९५० तक मिला जिसका नामा संसद भावन रखा गया ,

अब बात असली इतिहास की 1927 के आस पास तैयार हुआ यह भव्य भवन पहले अंग्रेजो के कब्जे में था ,और तब गुलामी के जंजीर में जखड़ा यह देश आजादी के लिए कितना तड़प रहा था,  इसकी अगर किसी को सच्चाई पता हैं तो वह यह पुराना संसद भवन, पहले अंग्रेज यहा  काम करती थी,  विधान परिषद के रूप में,  जब भारत स्वतंत्र होने की उम्मीद जगी तो 1947 के बाद इस भवन को संसद भवन के नाम से पुकारा गया, ब्रिटिश आर्किटेक्चर हर्बर्ट बेकर और एडविन ल्यूटियस के कंट्रोल में बना यह भवन 1927 में बनकर तैयार हुआ जिसमे 84 लाख रुपए की लागत लगी थीं। यह तो कहने की बात हैं की अंग्रेज सरकार ने इसे बनाया था लेकिन बल और धन तो भारत का ही खर्च हुआ है,  बस नाम अंग्रेजो का हैं लेकिन बनाया तो भारत के लोगो ने ही ।

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वीर भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त

इस संसद भवन के मीटिंग में ही वीर भगत सिंह और श्री बटुकेश्वर दत्त ने हमला किया था , जिनका लक्ष केवल इस मीटिंग का विरोध था जो भारत के विरुद्ध कानून बनाते थे । 1929 में  ब्रिटिश सरकार एक कानून पारित करने का सोच रही थी । जो भारत के मजदूरों के विरोध में था की उनसे हड़ताल करने का हक छिना जाए और उनको पूरी तरह सरकार के कंट्रोल में ही रहना पड़े , इसी के साथ पब्लिक सेफ्टी बिल का भी ज़िक्र यहां से हुआ  था , जिसके विरोध में भगत सिंह जी और बटुकेश्वर दत्त ने यह bomb blast किया था जिससे ब्रिटिश सरकार की नींद उड़ गई थी। वहा से लेकर भारत के आजादी का साक्षीदार बना यह भवन अपने आप में एक गवाह हैं जिसने भारत का सुख  दुख देखा हैं और आज के कुछ अच्छे बदलाव भी

संसद भवन का  हमारे देश में क्या भूमिका रही ?

75 साल का सफर जिसमे अनगिनत बदलाव किए गए ,एक से बढ़कर एक कानून लाए गए कुछ पास हुए तो कुछ जैसे के वैसे रहे , बदलाव समय की मांग हैं लेकिन बदलाव अगर सकारात्मक हो तो कल्याण तो होना ही है। दुनिया की नजर हमेशा भारत की और रहती हैं क्युकी दुनिया की प्राचीन संस्कृति,सभ्यता और इसी के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, अनेक बिल यहा  से पास हुए लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खिया बटोरी article 370  धारा 35 हटने को लेकर क्युकी इसके बाद कश्मीर पहले भी हमारा था और अब आगे भी हमारा हीं रहेगा और आजादी के पहले का यह विवाद हमेशा के लिए सुलझ गया । जिसके लिए दुनिया भर के कुछ देश पाकिस्तान के साथ थे लेकिन भारत ने आज दिखा दिया कि वो खुद की प्रोब्लम खुद solve करने में सक्षम हैं, और इस पुरानी संसद भवन में देश के प्रति प्रेम की आवाज गूंज उठी तब शायद यह भवन बहुत खुश हुआ  होगा । इसके बाद श्री राम मंदिर निर्माण का आगाज जो 550 साल से पुराना है  और उसकी चर्चा भी यहा  होती रहती थी और आखिरकार इसमें भी सच्चाई की जीत हुईं । और यह पुराना संसद भवन का सफर 370 हटने से लेकर श्री राम मंदिर तक रहा ,

पुराने संसद भवन का अब क्या होगा ?

अब इस पुराने संसद भवन को आलीशान म्यूजियम में बदला जाएगा,

पुराने संसद भवन का अब नाम क्या होगा ?

पुराने संसद भाव का नाम बदलकर अब संविधान सदन रखा गया है .

पुराने संसद भवन कितना साल पुराना है  ?

पुराना संसद भावन ९६ साल पुराना है रिकॉर्ड डेट सितम्बर २०२३ ,

पुराने संसद भवन  को कब बनाया गया था  ?

पुराने संसद भवन को में 1921 बनवाना सुरु किया गया और 1927 में यह बनकर तयार हो गया था .

पुराने संसद भवन में कुल कितने बैठने की कैपिसिटी है ?

पुराने संसद भवन में कुल 790 बैठने की कैपिसिटी है .

पुराने संसद भवन को बनवाने में कुल कितना खर्च आया था ?

पुराने संसद भवन को बनवाने में कुल 84 लाख रुपए की लागत लगी थीं,

 

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