Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास कौन हैं, जिन्होंने देखी बाबरी विध्वंस से भव्य श्री राम मंदिर निर्माण की घटना

जल्द ही अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर निर्माण कार्य पूरा हुआ, और आने वाले 22 जनवरी को मंदिर में भव्य समारोह होने वाला हैं। इस बार मंदिर के कुछ पुजारियों का चुनाव होना था जिसमे देशभर से हजारों नाम शामिल किए गए और कुछ पुजारियों को श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने एक परिक्षा के द्वार श्री राम मंदिर के पूजा अर्चना करने के लिएं चुना गया।

लेकिन इस प्रक्रिया में एक नाम खासा लोकप्रिय रहा सत्येंद्र दास जी का । जो की एक महंत हैं और उन्हें मुख्य पुजारी के रुप में चूना गया हैं। सत्येंद्र दास जी पीछले 35 सालों से ज्यादा समय से श्री राम की पूजा कर रहे हैं, श्री सत्येंद्र दास जी वो रामभक्त हैं जिन्होंने बाबरी विध्वंस देखा हैं और आज वो श्री राम मंदिर के मुख्य पुजारी के पद पर चयनित हुए हैं।

सत्येंद्र दास जी कौन है  ?

श्री राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास जी 80 साल के हैं लगभग 35 साल से अधिक समय में वो श्री राम लला के पूजा करते हैं अयोध्या स्थित श्री राम पंडाल में भी वो सक्रिय पुजारी थे ।

क्या हैं श्री राम मंदिर 1992 का आंदोलन ?

जब वर्ष 1992 में बाबरी विध्वंस शुरू हुआ उसके बाद जब महंत सत्येंद्र दास श्री राम पंडाल के मुख्य पुजारी थे, उन्होंने बाबरी विध्वंस से लेकर श्री राम मंदिर तक का सफर देखा हैं। सत्येंद्र जी ने अपने जीवन का समय श्री राम मंदिर के लिए दिया हैं । लगभग 30 साल से ज्यादा का समय उन्होंने मुख्य पुजारी के रुप में बिताया है और आज भव्य मंदिर में भी उन्हे मुख्य पुजारी बनाया गया हैं।

कैसा रहा सत्येंद्र दास का बचपन और अयोध्या से संबंध ?

सत्येंद्र जी का जन्म वैसे तो अयोध्या के कबीर नगर में हुआ और उनके पिता का संबंध पुजारियों से था , सबसे पहले अयोध्या में श्रीं राम लल्ला की मूर्तियां जिन्होंने रखी मतलब की अभिदास जी उनको सत्येंद्र दास जी अपना गुरु मानते हैं.

विवादित जमीन के गर्भ गृह में अभिदास जी ने वर्ष 1949 में श्रीं राम लल्ला की मूर्तियां स्थापित की थी तब से अयोध्या में माहोल गरम होता हुआ दिखाईं दे रहा था, तभी से सत्येंद्र दास जी इस आंदोलन में सक्रिय हैं।

वर्ष 1976 और 1977 में उन्होने संस्कृत भाषा के प्राध्यापक के पद पर नौकरी की और वो श्री राम लला की पूजा अर्चना भी करते जब 1992 को बाबरी विध्वंस हुआ तब भी सत्येंद्र दास जी आंदोलन में सबसे आगे थे , यह देखते हुए उनको 1992 से ही मुख्य पुजारी के पद पर रखा गया और वो पद आज भी उनके पास हैं।

बाबरी विध्वंस के बाद श्री राम लला को बचाकर भाग निकले सत्येंद्र दास जी जब आंदोलन ने जोर पकड़ा तब कोठारी भाइयों ने और समस्त भीड़ ने विवादित ढांचा मिटती में मिला दिया तब पंडाल में स्थित श्री राम लला कि मुर्तियो पर विधर्मी हमला भी कर सकतें थे , तो अयोध्या में पंडाल में प्रभु श्री राम लला की मूर्तियों को सत्येंद्र दास जी ने कही और सुरक्षित रख दिया और उधर बाबरी विध्वंस शुरु हुआ जो उन्होंने अपनी आंखों से देखा।

“उन्होंने सभी भक्तो से कहा था एक दिन आएगा , अयोध्या में फिर एक बार भव्य मंदिर बनेगा”।

और आज इसी भव्य मंदिर के वो प्रमुख पुजारी हैं।

 

 

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