Chandrayan-3 : चाँद की रेस से कौन हुआ बहार और क्यों ? भारत / रसिया , मोदी जी इसरो को बधाई दिए ?

चंद्रयान 3 आज शाम 6 बजे तक सफलतापूर्वक दस्तक दिया  हैं , चांद पर  हर हिंदुस्तानी की यही मनोकामना हैं की हमारा यह नायाब मिशन हर हाल में सफल हो  और हुआ भी  लेकिन रूस का lunar 25 मिशन भी इस रेस में था की, वो भी साउथर्न pole पर  उतरे मगर रूस की lunar चाँद  से टकराया और क्रैश हो गया , अब दुनिया भर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन troll हो  रहे हैं , की पहले यूक्रेन को तबाह किया और अब खुद उनका लुनार क्रैश हुआ। उससे कुछ लोग बड़े खुश हैं मगर भारत ने अभी भी कहा हैं, रूस की अपना प्रयास ना छोड़े, और फिर एक बार सफलता की रह पर उड़ान भरे।

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आपको बता दे की , चंद्रयान 3  सॉफ्ट  landing किया  हैं, इस पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई थी । इसरो लगातार काम कर रहा हैं और अपडेट्स पर फोकस कर रहा था  की चांद एक बार फिर वेलकम करे भारत का। पूरे हिंदुस्थानियों की दिलों की धड़कन जितनी तेज हो रही थी , उतना ही डर भी था । जब रूस ने अपना मिशन ऑन द वे किया था। तो उनका कहना था की भारत से पहले हम चांद पर पहुंचेंगे, मगर lunar टकराया चांद से और गड़बड़ हो गया ,  वही हमारे इसरो ने on Air किया था चंद्रयान ३  को 14 जुलाई को , और  आज मतलब 23 अगस्त को हम चांद पर सफलतापूर्वक उतारकर  तिरंगा  फहराये  ।

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अब जानते हैं लुणार 25 के बारे में,

रूस का बड़ा ही नाम हैं बॉर्डर टेक्नो में और स्पेस रिसर्च में भी  और एक बार फिर रसिया तैयार था की वो भारत से पहले अपना यान चांद पर उतरेगा , चंद्रयान 3 के 28 दिनो बाद उसने लूनार को को तैयार किया चांद पर जाने के लिए और उनका मानना था कि 21 अगस्त को लूनार की एंट्री चांद पर होगी। मगर लैंडर क्रैश हुआ और रूस को असफलता झेलनी पड़ी। लेकिन अभी दुनिया में क्रेज हैं, भारत के  चंद्रयान को लेकर ,  पूरी दुनिया अब देखना चाहती हैं , की भारत का यह प्रयास कितना सफल साबित होता हैं । निरंतर प्रयास करके इसरो ने सबको चौका दिया हैं । आपको बता दे की चांद के इस भाग पर अभी तक किसी को सफलता नहीं मिली हैं। भारत का यह तीसरा  प्रयास हैं और सबकी नजर चांद पर हैं।

मिशन लूनार फेल हुआ क्युकी रूसियों को  काम 128 sec, me करना था  उसको 28 sec में ही किया जिसका परीणाम हुआ।की लुनार क्रैश हुआ, और वैसे भी रूस कही महीनो से युद्ध में उलझा हुआ हैं तो ऐसी वजह से से यह  mission असफल साबित हुआ ऐसा कही एजेंसियों का मानना है।

वही भारत की  तारीफ भी हो रही हैं और पाकिस्तान में आलोचना भी की हिंदुस्तान तो सपने देख रहा हैं। अब उनको कौन समझाए की झंडे पर चांद होने में और
चांद पर झंडा होने में कितना फर्क होता है ,

 

  नासा भी  2024 तक स्पेस एस्ट्रोनोट भेजे की तैयारी में हैं।

नासा के साइंटिस्ट्स said, भारत से  हमे बहुत उम्मीद हैं की वो अपने इस प्रयास में जरूर सफल होंगे और , भारत की पहचान दुनिया में चांद की तरह ही चमके, वैसे इसरो और नासा वैज्ञानिक हमेशा ज्वाइंट मिशन में साथ करते  रहते हैं , दोनो ने मिलकर हर एक मिशन सफल बनाए हैं, और अभी सबकी नजर चांद के साउथ  पोल पर हैं । यह दिक्कत हैं की चांद पर कोई सतह नहीं हैं, और यह लैंड करना मुश्किल हैं लेकिन हमारा लैंडर प्रज्ञान को इसरो ने ठीक वैसा ही डिजाइन किया हैं, की वो चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करे , जैसे ही चंद्रयान चांद की कक्षा में स्थापित हुआ ठीक वही से ही , इसने अपना काम शुरू कर दिया , मतलब की  चांद की सतह की फोटोज भेजना , जो इसरो की कलेक्शन रेडी करेगा और रिसर्च शुरू की चांद के साथ पोल पर क्या हैं ? चांद पर बढ़ी मात्रा में हाइड्रोजन और हीलियम का मिक्सचर हैं, पृथ्वी जैसे वातावरण वहा नही हैं।  मगर फिर भी चीन और जापान ने यह काफी रिसर्च किया , यहाँ  तक की यहां जीवन पनपेगा की नही, इस पर रिसर्च जारी हैं ,और  साउथ पोलपे उतरने वाला  भारत ही पहला देश हैं जो इस भाग में उतारा है ,  और यहाँ से बहुत सी जानकारी इकट्टा करेगा ।

 

 

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