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UCC, देश में जल्द लागू होगा यूनिफार्म सिविल कोड, सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के आगे मुसलमान समुदाय का विरोध

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हमारा देश विविधता परंपरा रीति रिवाज और विविधता धर्म को मानने वाला देश है हिंदुस्तान की संस्कृति  देश के  बेश किमती खजाने से कम नहीं है ,चाहे वह बोलियां हो ,भाषा हो या फिर उत्सव हो, हर एक प्रदेश की अलग-अलग अपनी-अपनी पहचान पर अपनी अलग एक कहानी है जो अलग-अलग संस्कृति को दिखाता है ,अलग-अलग धर्म के पालन हेतु अलग-अलग नियम है अलग कानून है अब मुद्दा है कि सभी धर्म के कुछ नियमो को एक मजबूत आकार दिया जाए मतलब सभी नागरिकों के लिए एक ही संहिता बनाना है

ucc समय की यह जरूरत है, मतलब की यूनिफॉर्म सिविल कोड की जरूरत आज भारत को कितनी है?

इसके बारे में जानते हैं

आज हर जगह UCC मतलब की यूनिफॉर्म सिविल कोड की चर्चाएं हैं, भारत में सबसे पहले गोवा में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया गया था क्योंकि पुर्तगालियों ने किया था और अभी हिमाचल प्रदेश इसे लागू करने के लिए रेस में सबसे आगे हैं, इस साल की मानसून सत्र में गवर्नमेंट यूनिफॉर्म सिविल कोड को संसद में प्रजेंट करने की तैयारी में हैं,

बात करते हैं आजादी के पहले की अंग्रेजों के पहले जब मुगलों का रास्ता तब धर्म परिवर्तन के लिए अभियान चलाए जाते थे जो धर्म के प्रति ईमानदार थे वह सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार थे मगर फिर भी कुछ मजबूरी के चलते लोग बस नाम के लिए धर्म छोड़ दे मगर जीते थे अपने धर्म के साथ ही, जब अंग्रेज आए धीरे-धीरे उनका शासन हिंदुस्तान को कवित कर रहा था तो अंग्रेज बड़े परेशान थी कि यह हिंदुस्तानी धर्म को अपने आप से अपनी जान से इतना क्यों चाहते हैं हालांकि कुछ खूब प्रथाएं भी थी भारतीय समाज में जिसे अंग्रेजों ने समाज कल्याण के लिए दूर कर दिया, मगर फिर भी कुछ प्रथाएं तब से अब तक चलती आ रही है हिंदू धर्म में काफी सुधारना की गई है क्योंकि कुछ समाज सुधारकों ने इस पर बहुत ज्यादा जोर दिया था 1835 में अंग्रेज गवर्नर ने एक रिपोर्ट प्रजेंट की जिसमें अंग्रेज चाहते थे’, कि भारतीय समाज एक ही कानून का पालन करें क्योंकि उनका ज्यादातर समय व्यापार से हटकर समाज में हो रही उथल पुथलपर जा रहा था इसमें सजा को लेकर, धार्मिक रीति रिवाज इतने अलग थे, कि एक समान नियम बनाने के लिए अंग्रेजों को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा क्योंकि भारत में अनेक धर्म है उनके सबके अपने अलग-अलग नियम कानून कायदे हैं चाहे वह विवाह के हो या फिर तलाक के हो वैसे हिंदू बौद्ध जैन में तलाक कोर्ट कचहरी के मामले कम थे परंतु मुस्लिम समाज में बहु विवाह की प्रथा थी ,जब तलाक होता था तो उसे सुलझाना बड़ा कठिन था ,

समय-समय पर अंग्रेजों ने अनेक अधिनियम लागू की है मगर हिंदू धर्म में ही सुधार हुआ सती प्रथाएं बहु विवाह पर रोक लग गई मगर मुस्लिम समाज में इसका कोई असर नहीं हुआ उसमें बहु विवाह से लेकर तलाक और तलाक से लेकर हलाला की प्रथा आज भी जारी है

अब आते हैं मुद्दे पर , मतलब की UCC क्या है ?

इसका मतलब होता है समान नागरिक संहिता एक ऐसा कोड एक ऐसा कानून, जो सभी के लिए समान हो मतलब की यूनिफॉर्म सिविल कोड एक कानूनी ढांचा है शॉर्ट में बता दूं तो एक ऐसा कानून है जो पूरे देश के लिए समान हो सभी धर्म के लिए समान हो और सभी नागरिकों के लिए भी समान हो सभी धार्मिक समुदाय के लिए जो कानून बने हैं उन कानून को एक रूप दिया जाता है इस कानून के ज़रिए।

कुछ कानून में UCC अभी भी लागू है जैसे की

भागीदारी अधिनियम 1932

भारतीय अनुबंध अधिनियम 1872

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम 1882

और साक्षी अधिनियम 1872

लेकिन अभी तक यूनिफॉर्म सिविल कोड धर्मनिरपेक्षता संबंधी कानून में लागू नहीं है जो अभी का करंट टॉपिक है इंडियन गवर्नमेंट इसे यूनिफॉर्म सिविल कोड में शामिल करना चाहती है मगर उसे धर्म संस्थाएं इसकी विरोध में है क्योंकि भारत में धर्म विविधता है और धर्म की आजादी है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू करने के पक्षधर का यह कहना है कि समाज के कानून सबके लिए समान होना चाहिए जिससे विवाह हो संपत्ति हो या फिर महिला के अधिकार हो उनको वह सब मिलना चाहिए

 

22 व़ा भारतीय विधि आयोग कहता है कि राज्य को यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए प्रयास करना चाहिए. आर्टिकल 44 जो कि भारतीय संविधान के भाग 4 में लिखित है इस जरूरत पड़ने पर UCC मतलब की यूनिफॉर्म सिविल कोड देश में लागू करना चाहिए इसका उल्लेख इस आर्टिकल में हमें मिलता है ,
 44 डीपीएसपी में आता है इस भाग में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर  Article  36 से लेकर Article51 तक प्रावधान हैं।

कोई भी प्रावधान का कोई ना कोई उद्देश्य होता है और भारतीय संविधान में इसे स्पष्ट किया है की यूनिफॉर्म सिविल कोड का एक ही उद्देश्य है धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य को मजबूत बनाना जो जनजीवन को आसान बनाएगा।
लेकिन विरोध इसलिए है कि मुसलमान अपने मुस्लिम पर्सनल लॉ में नहीं चाहता कि उनकी धार्मिक अधिकारों में कोई भी गवर्नमेंट अपना हक जाता है क्योंकि अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड पारित हो जाएगा तो मुस्लिम समाज में बहुत विवाह पर रोक लगेगी , हलाला पर रोक लगेगी जो कि मुसलमान बिल्कुल भी नहीं चाहते भारत में विवाह प्रथाएं भी अलग है,

यूनिफॉर्म सिविल कोड में विवाह से लेकर तलाक तक बच्चा गोद लेना, संपत्ति पर महिलाओं को उनका हक मिलेगा, प्रतिरूप अधिकारों की बात करें तो पिता की संपत्ति पर अब समान अधिकार होगा बेटी का ,जो मुस्लिम समाज में पहले नहीं दिया जाता था,

जैसे ही यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा मुस्लिम महिलाओं को संपत्ति में उनका अधिकार मिल जाएगा जैसे ही पुरुषों को मिलता है ट्रिपल तलाक भी हट जाएगा चाहे तलक किसी भी तरीके से दिया जा रहा है चाहे लिखकर हो या फिर तीन बार बोलकर हो यह जो प्रावधान है यह सभी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने के बाद  महिलाओं को मिल जाएंगे।

ट्रिपल तलाक में एक प्रावधान था पहले अगर किसी मुस्लिम महिला का तलाक हो जाता है तो मोबाइल  के रूप में पुरुष अपनी मर्जी से गुजारा भत्ता देगा मगर वह स्वतंत्र रहे अपने मन से कितनी भी आर्थिक मदद करेगा यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होते ही महिला को जेंडर इक्वलिटी के चलते अपने जरूरत की हिसाब से कोर्ट में जाकर मुकदमा दर्ज कर सकती है और अपने पति से गुजारा भत्ता की मांग कर सकती है।

लेकिन विपक्ष यूनिफॉर्म सिविल कोर्ट के विरोध में क्यों है

विपक्ष का कहना है कि हमारे देश में बहुत सारी विविधता है धर्म को लेकर परंपराओं को लेकर परंपराओं के नियम को लेकर सब कुछ भी नहीं एक दूसरे से मगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा तो विविधता को नुकसान होगा और आर्टिकल 25 और आर्टिकल 28 जो धर्म की स्वतंत्रता की बात करता है उसका उल्लंघन होगा तो अब देखना बड़ा इंटरेस्टिंग होगा की यूनिफॉर्म सिविल कोड को यूनिफॉर्म गवर्नमेंट और सुप्रीम कोर्ट कैसे लागू करते हैं

क्या यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा तो सारे पर्सनल लॉ खत्म हो ?

 

वैसे तो यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के लिए अनेक केसेस फॉर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना हैं जो महिलाओं को उनकी गरिमा को लेकर और उनके अधिकार को लेकर है पर उससे पहले देखते हैं कि भारत में विवाह कानून कैसे हैं हम हमेशा सुनते हैं कि हिंदू मैरिज एक्ट में काफी सुधारना मतलब काफी सारे बदलाव हुए हैं ,मगर मुस्लिम मैरिज लो अभी भी वैसे के वैसा ही है जैसे वह पहले था मतलब कि हलाला जैसी कुप्रथा आज भी मुस्लिम समाज में है, जिससे महिलाओं की गरिमा को ठेंस पहुंचती है ,उनके जो मौलिक अधिकार है उनका हनन होता है भारतीय संसद में 1956 में एक बिल लाया गया था हिंदू कोड भी इसके पारित होते ही बहु विवाह पर बैन लग गया ,मगर बस हिंदू समाज में ही बहु विवाह करना बंद कर दिया गया और इस बिल के पारित होते ही महिला को संपत्ति में बराबरी का हक मिल गया लेकिन यह अधिकार बस हिंदू लोगों के लिए था हिंदू के साथ-साथ यह बिल बौद्ध जैन पर भी लागू हुआ मगर सोचने वाली बात यह है कि, मुस्लिम समाज को इसमें शामिल नहीं किया गया क्योंकि मुस्लिम समाज के लोग नहीं चाहते कि उनके पर्सनल लॉ में कोई भी सरकार हस्तक्षेप करें।

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