काशी में बढ़ी सुरक्षा , आर्म फोर्स से लेकर पुलिस की नियंत्रण में हों रहीं हैं ज्ञानवापी तहखाने में माता शृंगार गौरी की पूजन

काशी में शंख नाद शुरू होने के बाद ही जोरो शोरो से पूजा अर्चना आरंभ हो गई। जैसे ही जिला न्यायालय का फैसला हिंदू समर्थकों के पक्ष में आया , ठीक उसके कुछ घंटो बाद ही ज्ञानवापी में मोजूद व्यास तहखाना खोला गया और , व्यास परिवार ने वहा तकरीबन 31 साल बाद पुनः माता शृंगार गौरी की पूजा करना शुरू कर दिया।

 

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कोर्ट के फैसले के बाद नमाज़ अदा करने पहुंची भरी तादाद में मुस्लिम भीड़ ने पोलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है, एक दम अचानक से काशी के कोने कोने से भारी संख्या में मुस्लिम नमाज़ पढ़ने ज्ञानवापी परिसर में इक्कठा हुए , कहा जा रहा हैं की कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पक्ष बहुत नाराज हैं, और जब से ज्ञानवापी तहखाने खोले गए तब से ओवैसी से लेकर चर्चा में रहने वाले मौलाना तौकीर भी मीडिया के सामने अपने अपनी बात रख रहे हैं।

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ज्ञानवापी परिसर को लेकर जिला न्यायालय ने हिंदू पक्ष की मांग को मान्यता दी और व्यास परिवार को शृंगार गौरी माता की पूजा करने का अधिकार दिया.

कोर्ट में ASI की टीम ने कुछ सबूत पेश किए जो ज्ञानवापी तहखाने से मिले थे , इसमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहे वो 10 सबूत जो जिला न्यायालय में पेश किए गए थे, इस में खंडित कला कृतियां और कुछ शिलालेख हैं जिस में हिंदू धर्म से संबंधित चिन्ह और आकृतियां हैं।

क्या क्या मिला ज्ञानवापी तहखाने में जो कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया गया?

ज्ञानवापी तहखाने में मौजूद कलाकृतियां जो मिली वो वापस व्यास परिवार के नियंत्रण में रहने वाले शृंगार गौरी के मंदिर में रखीं गई, अब वहा शृंगार गौरी माता के साथ इन मूर्तियों की पूजा भी कि जा रही हैं, जिसमे 10 में से 8 मूर्तियों को कोर्ट से सीधा व्यास परिवार के दिया गया और जिसमे ,भगवान गणेश , जगत पलनपति भगवान विष्णु और बजरंगबली की मूर्तियां भी शामिल हैं , जिनको श्रृंगार गौरी मंदिर में विधि विधान के साथ स्थापित किया गया है।

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शृंगार गौरी माता का पूजन ज्ञानवापी में।शुरू हो गया हैं, साथ ही साथ 31 साल।बाद व्यास परिवार को उनका हक मिला जो कई पीढ़ियों से चलता आ रहा हैं, बाबरी विध्वंस के बाद मुलायम सिंग यादव ने अपने मर्जी से व्यास परीवार को उनके धार्मिक अधिकार से वंचित रखा और ज्ञानवापी के इर्द गिर्द एक लोहे की रीलिंग लगाई जिससे मजबूरन व्यास परिवार को बाहर से ही पूजा करना पड़ रहा था, कहा जाता हैं की मुलायम सिंह यादव ने बाबरी विध्वंस को देखते हुए यह फैसला लिया था, लेकिन यह फैसला उन्होंने अपनी मर्जी से लिया था, मुख्यमंत्री होने की वजह से किसी ने उनसे सवाल किया तो वो दंगे का बहाना बनाते और इसी वजह से व्यास परिवार को उनके परंपरा से और धार्मिक अधिकार से मुलायम सिंह यादव ने जबरदस्ती से वंचित रखा।

लगभग 1993 के बाद अब मतलब की 2024 में व्यास परिवार को उनका हक मिला और जिला न्यायालय ने उनके परंपरा को जारी रखने के लिए कहा , जैसे ही कोर्ट का फैसला हिंदू पक्ष में आया ,वैसे ही ज्ञानवापी में हलचल तेज हो गई और रात्रि से ही परिवार ने माता शृंगार गौरी की पूजा करना शुरू कर दिया।

यह खबर फैलते ही , ज्ञानवापी में बड़े तादाद में मुस्लिम की भीड़ जमा हो गई, इसे गंभीरता से लेकर पुलिस प्रशासन ने ज्ञानवापी में अपनी तैनाती बढ़ा दी ,और तमाम निर्देश जारी किए गए।

साथ ही मुस्लिमो को नमाज़ के लिए किसी दूसरी मस्जिद में जाने की हिदायत भी दी गई लेकिन फिर भी वहा अनगिनत मुसलमान मौजूद थे, जो वहा से हटने का नाम नहीं ले रहे थे।

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पीछले कही शतको से व्यास परिवार माता शृंगार गौरी किनपूजा कर रहा हैं, जब औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद निर्माण शुरू किया तब उसने परिसर में स्थित सभी सभामंडप और मंदिर तोड़ दिए, लेकिन माता शृंगार गौरी का मंदिर वो पूरी तरीके से तोड़ नहीं पाया और उसके ऊपर ही उसने मस्जिद के गुम्बद का निर्माण किया।

आज भी ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार इस बात का सबूत है की वहा काशी विश्वेश्वर विराजमान थे।

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