Shree Ram Janmabhumi: Ayodhya आएगी 10,000 वीवीआईपी लोगों की भीड़ ?

प्रभु श्रीं राम लल्ला के दर्शन के लिए 22 जनवरी को लगभग 10,000 से ज्यादा लोग पधारने का अनुमान है जिसमे बॉलिवुड सितारों से लेकर बड़े बड़े बिसनेस के सीईओ और चेयरमैन शामिल हैं। 550 साल का इंतजार खत्म और न्याय की प्रतीक्षा करते न जाने कितनी पीढ़ियां आई और चली गई, लेकिन सच छुपाए नहीं छुपता और इतने सदिया बीतने के बाद वंदन आ हि गया जब अयोध्या के साथ सुप्रीम कोर्ट ने न्याय किया आज प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर बनकर तैयार हैं।

श्री राम का मंदिर कौन सी शैली में बना हैं ?

वैसे तो हिन्दूस्थान में कही शैलियां पाई जाती हैं जिसमे 4 शैलियां प्रमुख हैं जैसे की.

  • नागर
  • द्रविड़
  • वेसर

अयोध्या का श्री राम मंदिर नागर शैली में बना हैं । जिसमे 3 मंजिल हैं मंदिर का बेस्ड तारो की तरह बनाया गया हैं ।  इतिहास अयोध्या स्थित श्री राम मंदिर का जल्द ही विराजेंगे श्री राम बरसो से न्याय के प्रतीक्षा में संपूर्ण हिन्दू समाज को आखिरकार न्याय मिल गया और इस मंदिर के लिए असंख्य हिंदू समर्थकों ने अपनी जान की परवा नहीं की , यहां तक की सीने में गोलियां भी खाई, पुलिस प्रशासन ने भक्तो पर लाठीचार्ज भी किया , मगर इस आंदोलन में जोर पकड़ा 1992 में जब रामकृष्ण आडवाणी और उमा भारती ने अयोध्या का मोर्चा संभाला, मानो सभी भक्तो को एक सहारा मिल गया हो की अब उनकी आस्था और भक्ति को किसी ने  समझा हैं।

देशभर से करोड़ों भक्तो की भीड़ अयोध्या के रास्ते चल पड़ी । चाहे कश्मीर से कन्याकुमारी हो , याफिर गुजरात से बंगल हो।

वर्ष 1660 की बात करे तो यहां प्राचीन मंदिर था और बाद में जब औरंगजेब की नजर इस मंदिर पर पड़ी तो उसने काशी विश्वनाथ मंदिर के बाद अयोध्या का यह मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया, आज भी यह फरमान राजस्थान के बीकानेर के एक संग्रहालय में सुरक्षित है। जब मुगलों ने इस मंदिर को तोड़ना शुरू किया , तो भारतवर्ष के हिंदुओ ने विरोध किया लेकिन मुगलों ने बड़ी बेरहमी से हिंदुओ की हत्या की।

“अयोध्या आप जाओगे तो वहा के कुछ सूर्यवंशी परिवार आज भी सिर पर छाता नही धरते, जूता नहीं पहनते,और ना ही पगड़ी बांधते “
इसके पीछे का कारण हैं की , इनके पूर्विजो ने जब मुगलों का विरोध किया तब आतंकी मुगलों ने इन हिंदुओ का खून सींच कर बाबरी मस्जिद बनाई । बाबरी की एक ईट रखने के लिए हिंदुओं का खून और मांस का गायरा बनाया जाता और उसके ऊपर बाबरी की ईट रखी जाती।

जब बाबरी मस्जिद बनाई गई तब प्राचीन श्री राम मंदिर के टुकड़े मंदिर के नीचे दबाए गए । और आगे चलकर यह केवल बाबरी मस्जिद दिखाई दी, इसके बाद नई पीढ़ी मानो भूल गईं की यह कभी श्री राम मंदिर था, लेकिन हमारे वेद, पुराणों में इस जगह का उल्लेख श्री राम जन्मभूमि के नाम से हैं , कही बड़े दिग्गज नेताओ ने हमेशा यह मुद्दा उठाया लेकिन उन्हें कामयाबी मिली। कारण हैं तब जीतने भक्त थे उस से कही गुणा ज्यादा प्रभु श्री राम के विरोधी थे।

धीरे धीरे 450 साल इस भूमि ने न्याय के लिए प्रतीक्षा की और फिर साल 1900 के बाद फिर एक बार आंदोलन ने जोर पकड़ा । एक तरफ भारत के आजादी की मांग तो दूसरी तरफ भक्ति की आस करोड़ों रामभक्त को न्याय की प्रतीक्षा थी ,लेकिन देश की स्वतंत्रता के लिए कुछ दिन इस मुद्दे को शांत रखा गया।

जब भारत आजाद हुआ तब यह मुद्दा धीरे धीरे अपनी आवाज़ बुलंद करता गया। भारत की न्याय व्यवस्था, कानून व्यवस्था पर लोगो को भरोसा था लेकिन उस मे न्याय के लिए देरी क्यों हो रही हैं यह आम जनता समझ नहीं पा रही थी, साल दरसाल बीतते चले गए , लेकिन न्याय की प्रतीक्षा में आयोध्या कोर्ट के दरवाजे पर खड़ी थी की उसको न्याय मिले ,

हर दिन अयोध्या वासियों के मन में न्याय के लिए सब्र का बाण टूट रहा था। और इसी बीच देश में नेहरू से लेकर शास्त्री पीएम बनें, लेकिन उम्मीद की किरण आज भी अंधेरे में रास्ता खोज रही थी और न्याय की प्रतीक्षा में थीं ।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जब राजीव गांधी सत्ता में आए तो किसी ने सोचा नहीं था की वो सालो से बंद इस भूमि के तले खोल देंगे और दोनों समाज को पूजा करने का मौका देंगे । आपको जानकारी नहीं होगी की अंग्रेजी शासन में भी यह मुद्दा उठाया गया था जिसका तीव्र संताप देखकर अंग्रेज़ अधिकारी यो ने यहां ताले लगाकर यह जमीं बंद कर दी।

राजीव गांधी ने कैसे तोड़े बाबरी के ताले ?

जब राजीव ने को 1974 में सत्ता संभाली तब उन्होंने यह ताले खोल दिए उन्हे लगा की अब यह सदियों पुराना मामला लोग भूल गए, उनका यह कदम श्री राम भक्तो के लिए बहुत अच्छा अवसर था, अपनी मांग की पूरा करने की उस समय भी हिंदू समर्थकों ने, संगठनों ने मंदिर की मांग की । और यह इस विवादित जमीन के पास रामल्ला का छोटा सा पंडाल बनाया और लोग वही पूजा करने लगे,

इसी बीच कुछ मुसलमानो ने यह विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, लेकिन उनके इन सब कारनामों से हिंदुओ को कुछ फर्क नहीं पड़ा और वे वहा पर ही पूजा करने लगें। 1992 से जब इस आंदोलन ने जोर पकड़ा तो लालकृष्ण आडवाणी और तमाम हिन्दू समर्थक, संगठनों ने मंदिर के लिए आंदोलन करना शुरू कर दिया।

देश के कोने कोने से कार सेवक और संत अयोध्या में आने लगे। आए दिन यहां पर दंगे हुए, पहले शांति से यह पर श्री राम भक्त आंदोलन कर रहे थे लेकिन यहां दंगा तब भड़का जब प्रशासन के आदेश पर भक्तो को पिटा  गया, उन पर लाठी डंडे बरसाए गए।

जिसमे अनेक लोग मारे गए और जख्मी भक्तो की संख्या हजारों से ज्यादा थीं। देश दुनिया की मीडिया इस दिखा रहीं थीं और जन जन तक यह खबर पहुंचा रहे थे, इसी बीच अयोध्या में और लोग आने लगे, जो वहा के रहिवासी लोग हैं इनके विरोध में भी प्रशासन ने आरोप लगाए।

अयोध्या वासियों ने वो मंजर भी देखा जब उनके पूर्वजों के खून पर बाबरी मस्जिद बनाई गई और यह भी देख रहे थे की कैसे प्रशासन आज भी कारसेवकों पर , भक्तों पर अन्याय कर रही हैं। जगह जगह से रथ यात्रा निकाली गई, भक्तो की रैलीयां गांवों कस्बों से अयोध्या का रुख करने लगे ।

इस आंदोलन में आक्रोश तब देखा गया जब उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थीं , और मुलायम मुख्य्मंत्री पद पर थे , उन्होने यह मंजर देखा और पुलिस प्रशासन को सीधे फायरिंग का ऑर्डर दिया गया। बिना सोचे , समझे उनका यह आदेश कही भक्तो के सीने में गोलियां दागने और हत्या करने का इरादा लोग समझ गए।

अनगिनत भक्त, कारसेवक, हिन्दू समर्थक, संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता, यह तक की अयोध्या और हनुमान गढ़ी में निवासी भी इन गोलियों का शिकार हुए। संसद सत्र से लेकर कोर्ट कचहरी तक और समाज के कोने कोने से इस आदेश के विरोध में प्रदर्शन हुए । जिसमे हिंदू समर्थकों की भीड़ हर एक गली मोहल्ले में दिखने लगीं।

उधर मुलायम सिंह और कॉन्ग्रेस पार्टी की मुश्किल बढ़ने लगीं । और इसका फायदा सीधे बीजेपी को हुआ कई दिन सरकार चली लेकिन मात्र एक दो सीट्स से बीजेपी की सरकार गिर गई तब बीजेपी की कमान अटलजी के हाथ थीं। उन्होंने भी इस मुद्दे को शांति से समाधान तक ले जाने की बात कही थी।

इसके बाद 1992 में फीर एक बार कॉन्ग्रेस पार्टी ने सत्ता संभाली और प्रधानमंत्री थे नरसिम्हा राव। यह साल रामभक्तो के लिए करो या मरो वाला था । तमाम हिन्दू समर्थको ने इस आंदोलन जान लगाई और तब से लेकर 2021 और 2022 तक इसकी गुंज ने पूरी राजनीति बदल दी। और 550 साल बाद आज फिर एक बार मंदिर वही बना जहा वो हजारों साल से था ।

राम जन्भूमि के ASI सर्वे की रिपोर्ट्स ?

मस्जिद के नीचे ASI सर्वे किया गया जहा पर मंदिर के प्राचीन अवशेष मिले और विनाज भी आप अयोध्या में देख सकतें है। सुप्रीम कोर्ट में तमाम सबूत पेश किए गए मुस्लिम पक्ष और हिंदू समर्थकों ने तमाम दलीलें पेश की , जिसमे कुछ सबूत ऐसे थे जो पारसी और संस्कृत भाषा में थे उन पर मंदिर का उल्लेख था ,और वो अवशेष प्राचीन मंदिर के थे यह इस पर मुहर लगीं थी ।

सुप्रीम कोर्ट का यह ऐतिहासिक फैसला सुनकर तमाम भक्तो ने राहत कि सांस ली और उनका बरसो पुराने अन्याय पर सत्य की जीत हुईं। और आज श्री राम लला का देवालय बनकर तैयार है जिसकी प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 मे होगी

 22 जनवरी 2024 को  श्री राम मंदिर में होने वाले भव्य समारंभ में कौन कौन आमंत्रित हैं ?

बड़े बड़े दिग्गज नेता , तमाम बड़े फिल्मी कलाकार और उद्योगपति के साथ साथ तमाम कारसेवक के परिवार, हिन्दू समर्थक,संगठन, साधु संत को श्री राम मंदिर ट्रस्ट ने निमंत्रण भेजा है ,जिसमे फिल्मी सितारे , भारतीय क्रिकेट टीम, अदानी, अंबानी, टाटा ग्रुप, शामिल हैं।

फिल्मी कलाकार और उद्योगपति के साथ साथ तमाम कारसेवक के परिवार

 

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